Friday, March 8, 2013

मेरी


ज़िन्दगी मुस्कुराने लगी है मेरी,
गीत प्यार के गाने लगी मेरी......
मैं जानता हूँ "अंजाम-ए-मोहब्बत" पे
ज़िन्दगी धोखा खाने लगी मेरी ....
भयभीत हो तूफानी थपेडो से कश्ती,
साहिल से टकराने लगी मेरी,
करने बहुत से थे गिले शिकवे,
पर जुबां लड़खड़ाने लगी मेरी ..
बहुत अरसे से मायूस था दिल,
लो तमन्ना फिर मुस्कुराने लगी।।

Thursday, March 7, 2013

@ मजबूर खुदा @



रोज़ उठते धुएं की कालिख से ,
उस तरफ आसमां का एक टुकड़ा सारा दिन अफ्सिया सा रहता है....
उसके नीचे न कोई सजदा करे ,
सर झुका के अब ज़मीं पे रखने से अब खुदा पाँव खींच लेता है......
कूड़े करकट की ढेरियो पे ,
अभी भी ठन्डे लाशो के सर सुलगते से पाए मैंने है ....

टांगो.. बाहों..की हड्डियों के लिए,
जीने की आस में लड़ते रहते भूखे चौपाये है.... 

और जिसने पहले दांत मारे है,
   हड्डी बोटी - बोटी पे हक उसी का है .....

कमबख्त मज़हब के गुलाम पूछते है, अब की कुदाल पहले किसने मारी थी ...
कोई कहता है एक मस्जिद थी .. कोई कहता है एक मंदिर था ..
खुदा भी अब सर झुका के अब ज़मीं पे रखने से अब खुदा पाँव खींच लेता है ......
इसको भी अब यकीं नहीं आता की .. कभी इस ज़मीन पर उसका भी एक घर था।