Saturday, February 8, 2014

प्यारा लम्हा


इन वादियों में बिछी रंगो कि बहार देखकर
जिंदगी एक दिन फिर कानो में आहिस्ते से कहे देती है 
तुझे एक बार फिर आना होगा

इन्ही गलियों और चौराहों पर हँसते हुए कहता हूँ मैं 
पगली वादा रहा तेरे संग हर एक पल गुजारूँगा मैं 
तुझसे मुलाकात इस बार कर ही लूंगा मैं 

 झूमती हुई ये डालियाँ...... नीली-नीली पत्तियां  
कह जाएँ ये कि बस तुम हो यहाँ और मैं 
और बस एक लम्हा प्यार का 
ऐसी गहराइयाँ  …… गूंजती खामोशियाँ 
फिर तुम और मैं और बस ये एक लम्हा प्यार का 
                                                                                    --गौरव कश्यप
                                                                                                                                                  

Thursday, February 6, 2014

मुस्कुराहट


ज़िन्दगी एक बार फिर मुस्कुराने लगी मेरी,
गीत प्यार भरे गुनगुनाने लगी मेरी,
वाकिफ़ हो चला हूँ " अंजाम-ए-मोहब्बत " से तेरी,
ज़िन्दगी धोखा खाने लगी मेरी,
डर के तूफ़ान में थपेड़ो से कश्ती,
साहिल से टकराने लगी मेरी,
बयां करने को लाखो थे गिले शिक़वे,
पर सामने पा कर तुझे ज़ुबाँ लड़खड़ाने लगी मेरी,
बहुत अरसे से मायूस था दिल,
एक झलक पा कर तेरी लो तमन्ना फिर मुस्कुराने लगी मेरी,