सोच गहरी हो जाए तो फैसले मुश्किल हो जाते है
आज सीले होठो से कुछ बोलना चाहता हूँ ,
बंद हाथो को अब खोलना चाहता हूँ ,
दूर किसी मुकाम में जाना था मुझे,
आज खुद को इन हवाओं में घोलना चाहता हूँ l
माँगा था तुझको जब किये थे सजदे,
वो आर्जुओ के सजदे ,वो आंसुओ के सजदे,
आज उन सजदो को तुझसे तोलना चाहता हूँ ,
बंद होठो से आज कुछ बोलना चाहता हूँ l
दूर किसी मुकाम में जाना था मुझे,
आज खुद को इन हवाओं में घोलना चाहता हूँ l
माँगा था तुझको जब किये थे सजदे,
वो आर्जुओ के सजदे ,वो आंसुओ के सजदे,
आज उन सजदो को तुझसे तोलना चाहता हूँ ,
बंद होठो से आज कुछ बोलना चाहता हूँ l
गौरव कश्यप