सुन लो ऐ दुनिया वालो यह जग बना है लकड़ी का
देख लो तमाशा लकड़ी का, जीते लकड़ी, मरते लकड़ी
बचपन जिसमे गुजारी वो पालना लकड़ी का
लड़कपन जिसे दोस्तों के साथ बिताया वो गुल्ली डंडा लकड़ी का
बड़ो की आश् पूरी करने स्कूल लकड़ी की पट्टी ले कर गए
छड़ी भी साली लकड़ी की जिससे गुरूजी ने पिछवाड़ा लाल किया
ख़ुशीनुमा मीठी बर्बादी का आगाजी मंडप भी लकड़ी का
वो पहली रात जो बीती उस सेज का आधार भी तो लकड़ी का
बूढ़े हुए तो सहारा लाठी साला वो भी तो लकड़ी का ही मिला
सन्नाटे में जब टें बोल गए तो चिता मिली वो भी लकड़ी की
सब लकड़ी ही है
अबे संसार बस एक घनघोर तमाशा लकड़ी का
--गौरव कश्यप