Dreamer of Dreams |
जब भी मैं इन बदसूरत खेतो की ...
बदमस्त फसलो को हवा में झूमते देखता हूँ ...
तो मेरा एक सपना मेरी पलके नोचने लगता है ...
मेरा सपना ...
बड़ी बड़ी दैत्यकाय मशीने , बुलडोज़र ..स्टोन क्रशर , इंडस्ट्रियल क्रेने ...
हवा में उड़ता हुआ सुखा सीमेंट ....हज़ारो की तादाद में मौजूद मजदुर ...
बादल उड़ाते कारखाने , भभकती भट्टिया , धधकती चिमनियाँ ...
दायें ... बाएं ऒर वर्कर्स के घरौंदे ...
और सामने धुप उछालती रौशनी में नहाई ...
ऊँची-ऊँची गगनचुंबी शौपिंग मॉल की इमारतें ...
मुल्तिप्लेक्सो में फिल्मो के रंगीन पोस्टर्स ...
फैक्टरी ... कंपनियो में एक हाथ से पगार देकर ...
शौपिंग मॉलो में दुसरे हाथ से वापस बटोर रहे हम ...
शाम के धुलके में , फैक्टरी की मीनारी चिमनियों से उठता धुंआ ...
धुंआ ... आसमान में हमारी नश्लो की दास्ताँ लिख रहा होगा ...
-गौरव कश्यप
GAURAV JI ...DIL KO CHU GAYA ..BAHUT KHUB....
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