कब तलक ख़ामोशी
के साए में छिपोगी
लफ्जों के बवंडर
का सामना कब होगा
मन विचलित
दिल बेचैन
किसी कोने में
बैठा सवाल
उथल पुथल कर
कौंध रहा
तुम्हारी एक हाँ
का इंतज़ार
कटते दिन रात
आईने में खड़ा
खुद को तलाशता
खोई खुदी की आस में
घंटो तेरी तस्वीर निहारता
तुम कभी मिलोगी
के साए में छिपोगी
लफ्जों के बवंडर
का सामना कब होगा
मन विचलित
दिल बेचैन
किसी कोने में
बैठा सवाल
उथल पुथल कर
कौंध रहा
तुम्हारी एक हाँ
का इंतज़ार
कटते दिन रात
आईने में खड़ा
खुद को तलाशता
खोई खुदी की आस में
घंटो तेरी तस्वीर निहारता
तुम कभी मिलोगी
-----गौरव कश्यप
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