Tuesday, February 14, 2012



अनदेखा लम्हा दुआ बन के जानना चाहते है,
हम और तुम शायद बेवजह जीने का बहाना चाहते है,
सबकी आँखों में छुपी दस्तानों को पढ़ लेते है,
और जिन्हें चाँद लम्हों बाद भुलाना चाहते है,
यह खामोश लब,
यह आवाज़ का दर्द,
कुछ गर्म सांसे,
रूह की यादे,
बातो में ..... आँखों में,
हर एक के साथ जुड़ा यह लफ्ज़,
यह क्या है...........?
बस तेरा और मेरा अक्स



1 comment:

  1. We all have insecurities, so never hang around people who will point them out to you. True friends accept your flaws and love you for being who you are.

    ReplyDelete