Saturday, July 19, 2014

एक सवाल उठ रहा


एक लड़की डरी हुई सहमी सी है क्युँ ,
दिल को छु जाने वाली उसकी मासुम मुस्कुराहट गुम है क्युँ ,

उसके एक नादान से सवाल को भी बवाल बना दिया जाता है क्युँ ,
उसे खुल कर सांस लेने की भी आजादी नहीं है क्युँ ,

इस खुले आसमां पर भी उसका कोई हक़ नहीं ऐसा क्युँ ,
  सुकूं के दो पल वो जी ले ऐसा मुमकिन नहीं क्युँ ,

स्वर्णिम इतिहास के पन्नो पे ऐसी कालिख़ क्युँ ,
सशक्तिकरण की ओर अग्रसर कदमो पर बेड़ियॉं क्युँ ,

न्याय फरियादियो कि कतारें इतनी लंबी क्युँ ,
एक उन्नत समाज मे ऐसी दोगली नीति क्युं ,

विलुप्त होती वीर शिवाजी कि नारी सम्मान की गाथाएँ क्युं ,
नारी पुजन कि संस्कृति से निर्मीत समाज उसी के शोषण मे लगा क्युँ ,

संपुर्ण विश्व की आधारशीला नारी को कमजोर समझने की भुल क्युँ ,
मातृवत परदारेषु की दुहाई देने वाले लोगो इस भावना को भुला बैठे हो क्युँ //
--ग़ौरव कश्यप

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