Wednesday, September 17, 2014

विकास


हमारे देश में सब बनता है, 
पर अपनी रफ़्तार से बनता है,
बात तो यह है की जब ये बनता है , 
तब आप उसका हिस्सा हो या न हो ,
किसने सोचा था 
दिल्ली के कोने में पड़ा एक छोटा सा देहात ,
गुडगाँव बन जायेगा 
किसी ने इसे बढ़ते देखा है ?
रियल स्टेट प्लान डेवेलपमेंट का खेल है,
और आज का हमारा गुडगाँव इसी खेल की ऊपज,
देश को दो ताकते चलाने में लगी है,
1. POLITICS राजनीती ( बेशुमार ताक़त )
2. CORPORATE ( बेशुमार दौलत )
क्या चाहिए फैसला आपका है , और कैसे आप जानते है l

Saturday, July 19, 2014

एक सवाल उठ रहा


एक लड़की डरी हुई सहमी सी है क्युँ ,
दिल को छु जाने वाली उसकी मासुम मुस्कुराहट गुम है क्युँ ,

उसके एक नादान से सवाल को भी बवाल बना दिया जाता है क्युँ ,
उसे खुल कर सांस लेने की भी आजादी नहीं है क्युँ ,

इस खुले आसमां पर भी उसका कोई हक़ नहीं ऐसा क्युँ ,
  सुकूं के दो पल वो जी ले ऐसा मुमकिन नहीं क्युँ ,

स्वर्णिम इतिहास के पन्नो पे ऐसी कालिख़ क्युँ ,
सशक्तिकरण की ओर अग्रसर कदमो पर बेड़ियॉं क्युँ ,

न्याय फरियादियो कि कतारें इतनी लंबी क्युँ ,
एक उन्नत समाज मे ऐसी दोगली नीति क्युं ,

विलुप्त होती वीर शिवाजी कि नारी सम्मान की गाथाएँ क्युं ,
नारी पुजन कि संस्कृति से निर्मीत समाज उसी के शोषण मे लगा क्युँ ,

संपुर्ण विश्व की आधारशीला नारी को कमजोर समझने की भुल क्युँ ,
मातृवत परदारेषु की दुहाई देने वाले लोगो इस भावना को भुला बैठे हो क्युँ //
--ग़ौरव कश्यप

Saturday, April 5, 2014

हक की लड़ाई



जब बंदुक ना हुई  तलवार होगी,
जब तलवार न हुई  लड़ने की लगन होगी,
लड़ने का ढंग ना हुआ, लड़ने की जरुरत होगी,
और हम लड़ेंगे ......... लड़ेगे जरुर

हम लड़ेंगे कि लड़ने के बगैर कुछ भी मिलता नही,
हम लड़ेंगे कि "हम" अब तक लड़े क्यो नही,
हम लड़ेगे अपनी सजा कबुलने के लिए,
लड़ते हुए मर जाने वालो की याद जिंदा रखने के लिए,
हम लड़ेंगे कि लड़ने के बगैर कुछ मिलता नहीं


लड़ाईयॉ सस्ती नही होती, वरना हर कोई लड़ लेता

Wednesday, March 26, 2014

"शायद .........अक्सर"


अक्सर मैं तुमको ख़ामोशी में सुनता हूँ ,
तुम कहो दिन भर कि छोटी-छोटी कहानियाँ।।

अक्सर तुम शरमा जाती हो... आज भी ,
तुम को जो खूबसूरत मैंने कह दिया।।

तुम ही सुबह हो मखमली सी धुप हो,
तुम हो तो मिट जाएँ गम कि परछाइयाँ।।

तुम संग उड़ता हुँ लेकर ख्वाबों का कारवां,
चल पड़ेंगे अंधेरो में संग ले ख्वाबों कि कश्तियाँ।।

कल ख्वाब जो देखा तन्हा-तन्हा तो रुआंसा हो गया,
शायद डरने लगा कि मैंने तुमको कहीँ खो ना दिया।।

शायद हम तुम कुछ मशरूफ़ थे खुद मे कुछ वक़्त से,
शायद है कुछ जो लब् कह न सके कि तुम बिन हम अधुरे।।

शायद तुम कहती नहीं जो है एक अनकहा 
शायद तुम सोचती हो मैंने वो सुन लिया।।
गौरव कश्यप

Saturday, February 8, 2014

प्यारा लम्हा


इन वादियों में बिछी रंगो कि बहार देखकर
जिंदगी एक दिन फिर कानो में आहिस्ते से कहे देती है 
तुझे एक बार फिर आना होगा

इन्ही गलियों और चौराहों पर हँसते हुए कहता हूँ मैं 
पगली वादा रहा तेरे संग हर एक पल गुजारूँगा मैं 
तुझसे मुलाकात इस बार कर ही लूंगा मैं 

 झूमती हुई ये डालियाँ...... नीली-नीली पत्तियां  
कह जाएँ ये कि बस तुम हो यहाँ और मैं 
और बस एक लम्हा प्यार का 
ऐसी गहराइयाँ  …… गूंजती खामोशियाँ 
फिर तुम और मैं और बस ये एक लम्हा प्यार का 
                                                                                    --गौरव कश्यप
                                                                                                                                                  

Thursday, February 6, 2014

मुस्कुराहट


ज़िन्दगी एक बार फिर मुस्कुराने लगी मेरी,
गीत प्यार भरे गुनगुनाने लगी मेरी,
वाकिफ़ हो चला हूँ " अंजाम-ए-मोहब्बत " से तेरी,
ज़िन्दगी धोखा खाने लगी मेरी,
डर के तूफ़ान में थपेड़ो से कश्ती,
साहिल से टकराने लगी मेरी,
बयां करने को लाखो थे गिले शिक़वे,
पर सामने पा कर तुझे ज़ुबाँ लड़खड़ाने लगी मेरी,
बहुत अरसे से मायूस था दिल,
एक झलक पा कर तेरी लो तमन्ना फिर मुस्कुराने लगी मेरी, 

Wednesday, January 8, 2014

एक एहसास

 एह्सास था मुझे , एह्साह था तुझे,
फिर क्यों सपनो के दीए अधूरे बुझे।

बीते दिनों की बातें सोने न दें रात भर,
तन्हाई के साये तले हम खो गए किधर।

बदल गया है शमां  न रहे अब वो गम,
खो गया वो ख्याल टुट गए सब भ्रम।

जो चाहा कर न सका
सुनता रहा दिल मेरा।

क्या कहें कैसे रहें दूर तुमसे हो गए,
कुछ हालत से तो कुछ खुद से मजबूर हो गए..
        
                                                                                          गौरव  कश्यप