इन वादियों में बिछी रंगो कि बहार देखकर
जिंदगी एक दिन फिर कानो में आहिस्ते से कहे देती है
तुझे एक बार फिर आना होगा
इन्ही गलियों और चौराहों पर हँसते हुए कहता हूँ मैं
पगली वादा रहा तेरे संग हर एक पल गुजारूँगा मैं
तुझसे मुलाकात इस बार कर ही लूंगा मैं
झूमती हुई ये डालियाँ...... नीली-नीली पत्तियां
कह जाएँ ये कि बस तुम हो यहाँ और मैं
और बस एक लम्हा प्यार का
ऐसी गहराइयाँ …… गूंजती खामोशियाँ
फिर तुम और मैं और बस ये एक लम्हा प्यार का
--गौरव कश्यप
bahut sundar....
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