Saturday, February 28, 2015

PK- The Real India

भीतर जाते जाइये जकड़न मजबूत पाइए

PK फिल्म देख कर देश के हर तबके हर वर्ग के लोगो ने भिन्न- भिन्न प्रतिक्रिया दी॥
कुछ ने अच्छा कहा, कुछ ने व्यंग का दर्जा दिया, कुछ ने तो हमशक्ल और हैप्पी न्यु ईयर का  भाई तक कह डाला॥

खैर मुद्दा तो फिल्म की कहानी का है... कहानी मे 101% सच्चाई है... और इसको नकारने वाला प्राणी राँग नम्बर से पीड़ित घोषित किया जाएगा॥

भांति-भांति के बाबा, पीर, फकीरो ने हमारे समाज के लोगो मे नर्क... जहन्नुम कह कर कुछ डर पैदा कर दिया है.. और भगवानों के नाम पे चंदा जमा करना, पुजा मे चढ़ावा, मंदिरो मे बैक डोर एंट्री द्वारा जल्दी दर्शन, वी आई पी पास...... मजारो पे जबरन की चादरो का बोझ ना जाने ये चादरें और नारियल कितनी मर्तबा भगवान और बाबा को नमस्कार कर चुकी है॥

समाज का एक आलसी निठल्ला वर्ग पीढ़ी दर पीढ़ी इस गोरख धंधे पे बैठा है और पैसे बटोर रहा है... 
उदाहरण के तौर पर बनारस का गंगा घाट पंडा समुदाय आपकी फिरकी लेता नज़र आएगा

फिल्म मे एक जगह थप्पे की भी बात कि गई..... जो कि दुसरा ज्वलंत मुद्दा है.... बचपन का एक वाक्या साझा करना चाहुँगा... जब मै स्कुल मे था लंच ब्रेक मे क्लास के सभी लोग साथ बैठ कर दुसरे का ही टिफिन खाते कोई जाति नहीं .... कोई मजहब नहीं .... सब दोस्त हुआ करते थे ... स्कुल... कॉलेज खत्म ... वैसे ही अखंड एवं परम ज्ञान की प्राप्ति हुई... मजहब और जातिवाद... अगर आप मजहबी विचारधारा से डिट्टो मिलते है तो सही वरना आप इस समाज पे बोझ करार दिए जाएंगे.... आप की कोशिशो को धर्मविरोधी, नास्तिक, लव जेहाद इत्यादि नामो से पुकारा जाएगा॥

सब एक दुसरे पे लांछन लगा रहे है ... कोई कहता हिंदु बेईमान तो कोई गद्दार मुसलमान कहता..... अबे पहले ये तो देखो मंदिर मे हिंदु और मस्जिद/ मजारो पे मुसलमान ही अपने लोगो का चुतिया काटने मे लगे है....

किसी भी बात को धर्म के तराजु पे तौलने के पहले खुद की तर्क पे पहले रखो....खोपड़ी मे एक पिद्दी सा भेजा भी है 3% तो कम से कम पुरा उपयोग करो

जो झुठ बोल सकता है उसे यहाँ रहने का वीसा है... वरना गुरु 9-2-11 हो लो.... नो वेकेंसी टोटल सन्नाटा .... क्या समझे...

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